द्रव्यानुयोग
From जैनकोष
श्रुतस्कन्ध का चतुर्थ अनुयोग । इसमें प्रमाण, नय, निक्षेप तथा सत् संख्या, क्षेत्र, स्पर्शन, काल, अन्तर, भाव, अल्पबहुत्व, निर्देश स्वामित्व, साधन, अधिकरण, स्थिति और विधान के द्वारा द्रव्यों के गुण, पर्याय और भेदों का तात्त्विक वर्णन रहता है । महापुराण 2.101