प्रयोगक्रिया
From जैनकोष
साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में असंयमवर्धिनी एक क्रिया । इसमें गमनागमन आदि में प्रवृति बढ़ती है । हरिवंशपुराण 58. 63-65
साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में असंयमवर्धिनी एक क्रिया । इसमें गमनागमन आदि में प्रवृति बढ़ती है । हरिवंशपुराण 58. 63-65