भाजनांग
From जैनकोष
उत्तरकुरु-भोगभूमि के दस प्रकार के रत्नमय कल्पवृक्षों में एक प्रकार के कल्पवृक्ष । इनसे थाली, कटोरा, सीप के आकार के बर्तन, शृंगार और अन्य इच्छित बर्तन प्राप्त होते हैं । महापुराण 9.34-36 47, हरिवंशपुराण 7.80, 86, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.91-92