भीरस
From जैनकोष
भयानक रस । युद्धस्थल में जर्जरित अंगों को तथा जहाँ-तहाँ पड़े हुए योद्धाओं को देखकर द्रष्टा के मन में उत्पन्न भयंकारी भाव । महापुराण 68.607-608
भयानक रस । युद्धस्थल में जर्जरित अंगों को तथा जहाँ-तहाँ पड़े हुए योद्धाओं को देखकर द्रष्टा के मन में उत्पन्न भयंकारी भाव । महापुराण 68.607-608