मंत्रशक्ति
From जैनकोष
शत्रु को जीतने के लिए आवश्यक तीन शक्तियों-मन्त्र, उत्साह और प्रभु में प्रथम शक्ति । इसके द्वारा सहायकों और साधनों के उपाय, देश-विभाग, काल-विभाग और बाधक कारणों का प्रतिकार इन पाँच अंगों का निर्णय किया जाता है । महापुराण 68.60, हरिवंशपुराण 8.201