लंकासुंदरी
From जैनकोष
लंका के सुरक्षाधिकारी वज्रमुख की पुत्री । हनुमान ने युद्ध में इसके पिता को मार डाला था । पितृ-वध से कुपित होकर इसने प्रथम तो हनुमान से युद्ध किया किन्तु बाद में कामवाणों से हनुमान के हृदय में प्रवेश कर गई । इसने हनुमान को मारने के लिए उठाई शक्ति संहत कर ली थी । मुग्ध होकर इसने स्वनामांकित बाण भेजा । हनुमान उसे पढ़कर इसके पास आये और इसके प्रेमपाश में आबद्ध हो गये थे । हनुमान के समझाने से यह पिता के मरण का शोक मूल गयी थी । पद्मपुराण 52. 23-67