वाणिज्य
From जैनकोष
तीर्थंकर वृषभदेव द्वारा बताये गये आजीविका के षटकर्मों में पाँचवा कर्म । व्यापार द्वारा आजीविका करना वाणिज्य कर्म कहाता है । महापुराण 16.179-181, हरिवंशपुराण 9.35
तीर्थंकर वृषभदेव द्वारा बताये गये आजीविका के षटकर्मों में पाँचवा कर्म । व्यापार द्वारा आजीविका करना वाणिज्य कर्म कहाता है । महापुराण 16.179-181, हरिवंशपुराण 9.35