वेदनोपगमोद्भवध्यान
From जैनकोष
आर्तध्यान । यह वेदना के उत्पन्न होने पर होता है । इस ध्यान में वेदना नष्ट करने के विचार बार-बार उत्पन्न होते हैं । महापुराण 21.33, 35
आर्तध्यान । यह वेदना के उत्पन्न होने पर होता है । इस ध्यान में वेदना नष्ट करने के विचार बार-बार उत्पन्न होते हैं । महापुराण 21.33, 35