शतबल
From जैनकोष
महाबल विद्याधर का दादा । यह सहस्रबल का पुत्र था । इसने सम्यक्त्वी होकर श्रावक के व्रत ग्रहण किये थे । यह आयु के अन्त में यथाविधि समाधिमरणपूर्वक देह त्याग कर माहेन्द्र स्वर्ग में देव हुआ और इसके पिता मोक्ष गये । इसका अपर नाम शतबलि, पिता का अपर नाम सहस्रायुध और बाबा का अपर नाम वज्रायुध था । महापुराण 5.139-149, 63.138-139