समंतानुपातिनी
From जैनकोष
साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में चौदहवीं दुष्क्रिया-स्त्री-पुरुषों और पशुओं के मिलने जुलने आदि के योग्य स्थान पर मल-पुत्रादि का छोड़ना । हरिवंशपुराण 58.71
साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में चौदहवीं दुष्क्रिया-स्त्री-पुरुषों और पशुओं के मिलने जुलने आदि के योग्य स्थान पर मल-पुत्रादि का छोड़ना । हरिवंशपुराण 58.71