समुद्रसेन
From जैनकोष
(1) वस्त्वोकसार नगर का एक विद्याधर राजा, जिसकी रानी जयसेना और पुत्री बसन्तसेना थी । महापुराण 63.118-119
(2) एक मुनि । गौतम ब्राह्मण आहार के लिए जाते हुए इन्हीं मुनि के पीछे लग गया था । सेठ वैश्रवण के यहाँँ दोनों के आहार हुए । गौतम ने आहार करने के पश्चात् इस मुनि से दीक्षा देने की प्रार्थना की थी । फलस्वरूप इन्हीं मुनिराज ने उसे संयम ग्रहण करा दिया था । आयु के अन्त में ये मुनि मध्यम ग्रैवेयक के सुविशाल नाम के उपरितन विमान में अहमिन्द्र हुए और यह गौतम भी इसी विमान में अहमिन्द्र हुआ । महापुराण 70.160-179 देखें गौतम - 2