सुदत्त
From जैनकोष
(1) जम्बूद्वीप के ऐरावत क्षेत्र में स्थित गान्धार देश के विष्णुपुर नगर के सेठ धनमित्र और उसकी पत्नी श्रीदत्ता का पुत्र । इसकी स्त्री प्रीतिंकरा थी । नलिनकेतु द्वारा प्रीतिंकरा का अपहरण किये जाने से विरक्त होकर इसने अत मुनि से दीक्षा ले ली थी । अन्त में संन्यासमरण करके यह ऐशान स्वर्ग में देव हुआ । महापुराण 63.99-104
(2) जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित कलिंग देश के कांचीपुर नगर का एक वैश्य था । इसने सूरदत्तवैश्य के साथ युद्ध किया था । इस युद्ध में दोनों एक दूसरे के द्वारा मारे गये थे । महापुराण 70.127-132
(3) भरतक्षेत्र की अयोध्या नगरी के चक्रवर्ती पुष्पदन्त अरि रानी प्रीतिंकरी का पुत्र । इसने विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में नन्दपुर के राजा हरिषेण के पुत्र हरिवाहन को मारकर दक्षिणश्रेणी में ही मेघपुर नगर के राजा धनंजय की पुत्री धनश्री के साथ पाणिग्रहण किया था । महापुराण 71.252-257
(4) सिन्धु देश की वैशाली नगरी के राजा चेटक और रानी सुभद्रा का चौथा पुत्र । धनदत्त, धनभद्र, उपेन्द्र इसके बड़े भाई तथा सिंहभद्र, सुकुम्भोज, अकम्पन, पतंगक, प्रभंजन और प्रभास छोटे भाई थे । प्रियकारिणी आदि इसकी सात बहिनें थी । महापुराण 75. 3-7
(5) पद्मखेटपुर का एक सेठ । इसी के पुत्र भद्रमित्र को सिंहपुर के राजा ने सत्यघोष नाम दिया था । महापुराण 59.148-173