स्थूलसूक्ष्म-पुद्गल
From जैनकोष
पुद्गल के भेदों में चौथा भेद । ऐसे पुद्गल छाया, चांदनी, आतप आदि के समान होते हैं । ये इन्द्रिय से देखे जा सकने के कारण स्थूल है किन्तु अविघाती होने से सूक्ष्म भी हैं अत: वे स्थूल सूक्ष्म पुद्गल कहलाते हैं । महापुराण 24.149, 152, वीरवर्द्धमान चरित्र 16. 121 देखें पुद्गल