हिरण्योत्कृष्टजन्मताक्रिया
From जैनकोष
गर्भान्वयी त्रेपन क्रियाओं में उन्तालीसवीं क्रिया-तीर्थंकरों के जन्म संबंधी उत्कृष्टता की सूचक अन्य बातों के साथ-साथ स्वर्ण की वर्षा होना । यह किया तीर्थंकरों के होती है । इसमें तीर्थंकरों के गर्भ में आने के छ: मास पूर्व से कुबेर रत्नों की वर्षा करता है । मन्द-मन्द हवा बहती है, दुन्दुभियों को ध्वनियाँ होती है, पुष्पवृष्टि होती है और देवियाँ आकर जिन-माता की सेवा करती है । महापुराण 38.60, 217-224