अमृतरसायन
From जैनकोष
हरिवंश पुराण सर्ग 33 श्लो.-गिरिनगरके मांसभक्षी राजा चित्ररथका रसोइया था ॥151॥ मुनियोंके उपदेशसे राजाने दीक्षा तथा राजपुत्रने अणुव्रत धारण कर लिये ॥152-153॥ इससे कुपित हो इसने मुनियों को कड़बी तुम्बीका आहार दे दिया, जिसके फलसे त सरे नरक गया ॥154-156॥ यह कृष्णजीका पूर्व पंचम भव है।