इष्वाकार
From जैनकोष
1. ( जंबूदीव-पण्णत्तिसंगहो / प्रस्तावना 105 Arc.); 2. धातकीखण्ड व पुष्करार्ध इन दोनों द्वीपोंकी उत्तर व दक्षिण दिशाओंमें एक-एक पर्वत स्थित है। इस प्रकार चार इष्वाकार पर्वत हैं जो उन-उन द्वीपों को आधे-आधे भागोंमें विभाजित करते हैं।
(विशेष-देखें लोक - 4.2)