कूट
From जैनकोष
ध.१३/५,३,२९/३४/८ कागुंदुरादिधरणट्ठमोद्दिदं कूडं णाम।=चूहा आदि के धरने के लिए जो बनाया जाता है उसे कूट कहते हैं।
ध./४/५,६,६४१/४९५/५ मेरु-कुलसेल-विंझ-सज्झादिपव्वया कूडाणि णाम।=मेरुपर्वत, कुलपर्वत, विन्ध्यपर्वत, और सह्यपर्वत आदि कूट कहलाते हैं।
- पर्वत पर स्थित चोटियों को कूट कहते हैं।
- मध्य आर्य खण्ड का एक देश– देखें - मनुष्य / ४ ।
- विभिन्न पर्वतों पर कूटों का अवस्थान व नाम आदि– देखें - लोक / ५ ।