वाग्वलि
From जैनकोष
माता-पिता-सेवायज्ञ का संचालक । यह पिप्पलाद का शिष्य था । बकरे की पर्याय में मरते समय इसे चारुदत्त ने पंच नमस्कार मंत्र दिया था जिसके प्रभाव से मरकर यह सौधर्म स्वर्ग में उत्तम देव हुआ । हरिवंशपुराण 21. 146-151
माता-पिता-सेवायज्ञ का संचालक । यह पिप्पलाद का शिष्य था । बकरे की पर्याय में मरते समय इसे चारुदत्त ने पंच नमस्कार मंत्र दिया था जिसके प्रभाव से मरकर यह सौधर्म स्वर्ग में उत्तम देव हुआ । हरिवंशपुराण 21. 146-151