विवाहकल्याणक
From जैनकोष
विवाह का उत्सव । इस समय विवाह-मण्डप बनाया जाता है और उसे सजाया जाता है । वर और वधू अलंकृत किये जाते हैं । दान, मान और सम्भाषण से आगन्तुकों का सम्मान किया जाता है । इस उत्सव को सूचित करने के लिए मंगल भेरी बजाई जाती है । परिणय गुरुजनों, बन्धुओं और मित्रों की साक्षी में होता है । महापुराण 7.210, 222-223, 238-290, 15.68-75