व्युष्टिक्रिया
From जैनकोष
गर्भान्वय क्रियाओं में ग्यारहवीं क्रिया । यह जन्म से एक वर्ष बाद की जाती है । इसका दूसरा नाम वर्षवर्धन है । इसमें अर्हन्त की पूजा, अग्नियों में मन्त्रपूर्वक आहुति का क्षेपण, दान, इष्ट बन्धुओं को आमन्त्रित करके भोजन आदि कराया जाता है । इस क्रिया में आहुति-क्षेपण करते समय निम्न मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है-उपनयनजन्मवर्षवर्धन भागी भव, वैवाहनिष्ठ वर्षवर्द्धनभागीभव, मुनीन्द्रजन्म वर्षवर्द्धनभागीभव, सुरेन्द्रजन्मवर्षवर्द्धनभागीभव, कन्दराभिषेकवर्षवर्द्धनभागीभव यौवनराज्यवर्षवर्द्धनभागीभव और आर्हन्त्यराज्यवर्षवर्द्धनभागीभव । महापुराण 38.56, 96-97, 40. 143-146