गुरुस्थानाभपगमक्रिया
From जैनकोष
गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में सत्ताईसवीं क्रिया-सर्वविद्यावान् और जितेन्द्रिय साधु का गुरु के अनुग्रह से गुरु का स्थान ग्रहण करना । ऐसा यही साधु कर सकता है, जो ज्ञानविज्ञान से सम्पन्न हो, गुरु को इष्ट हो और विनयवान् तथा धर्मात्मा हो । महापुराण 38.58,163-167