योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 81
From जैनकोष
द्रव्य के दो भेद और उनका लक्षण -
मूर्ताूर्तं द्विधा द्रव्यं मूर्ताूर्तैर्गुणैर्युतम् ।
अक्षग्राह्या गुणा मूर्ता अमूर्ता सन्त्यतीन्द्रिया: ।।८०।।
अन्वय :- मूर्त-अमूर्तै: गुणै: युतं द्रव्यं मूर्त-अमूर्तं द्विधा (भवति), अक्षग्राह्या: गुणा: मूर्ता:, अतीन्द्रिया: अमूर्ता: सन्ति ।
सरलार्थ :- द्रव्य मूर्तिक और अमूर्तिक दो प्रकार के हैं - जो द्रव्य मूर्त गुणों से सहित है, वे मूर्तिक द्रव्य हैं और जो द्रव्य अमूर्त गुणों से सहित है, वे अमूर्तिक द्रव्य हैं । जो गुण इन्द्रियों से जानने में आते हैं, वे मूर्त गुण हैं और जो गुण इन्द्रियों से जानने में नहीं आते वे अमूर्त गुण हैं ।