नाट्यक्रीड़ा
From जैनकोष
प्राचीनकाल से प्रयोग में आता हुआ मनोरंजन का एक उत्तम साधन । पहले किसी के द्वारा किये गये कार्य का कलापूर्ण अनुकरण नाट्य है । वृषभदेव के मनोरंजन के लिए देव नाट्यक्रीड़ा किया करते थे । लोक में यह सर्वाधिक प्रिय रही है । महापुराण 14.97