अक्षरावलि
From जैनकोष
अक्षरमाला । स्वर और व्यजन के भेद से इसके दो भेद होते हैं । संयुक्त अक्षर और बीजाक्षर इसी से निर्मित होते हैं । अकार से हकार पर्यन्त वर्ण, विसर्ग, अनुस्वार, जिह्वामूलीय और उपघ्मानीय वे सभी इसमें होते हैं महापुराण 16.104-108 देखें अक्षरविद्या