अमितवेग
From जैनकोष
(1) अमिततेज का बड़ा भाई । हरिवंशपुराण 34.35-35 देखें अमिततेज
(2) विजयार्ध के स्थालक नगर का राजा, मणिमति का पिता । विद्या-साधना में रत मणिमति को देखकर एक समय रावण इस पर आसक्त हो गया था । मणिमति को अपने अधीन करने के लिए रावण ने उसकी विद्या छीन ली थी । बारह वर्ष से साधना में रत इस कन्या ने विद्या की सिद्धि में विघ्न होता देखकर निदान किया था कि वह इसी की पुत्री होकर इसके वध का कारण बने । निदान वश आयु के अन्त में मरकर वह मन्दोदरी के गर्भ से उत्पन्न हुई जिसे सीता नाम से सम्बोधित किया गया । महापुराण 68.13-27