चौदह पूर्वों मै चतुर्थ पूर्व । इसमें साठ लाख पदों में जीव आदि द्रव्यों के अस्तित्व का कथन किया गया है । हरिवंशपुराण 2.28, 10.89 देखें पूर्व
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