उत्पलोज्ज्वलता
From जैनकोष
मेरु पर्वत की पूर्व-दक्षिण दिशा में स्थित पचास योजन लम्बी, दस योजन गहरी और पच्चीस योजन चौड़ी वापी । हरिवंशपुराण 5. 334-335
मेरु पर्वत की पूर्व-दक्षिण दिशा में स्थित पचास योजन लम्बी, दस योजन गहरी और पच्चीस योजन चौड़ी वापी । हरिवंशपुराण 5. 334-335