उपरंभा
From जैनकोष
आकाशध्वज और मृदुकान्ता की पुत्री तथा नलकूबर की भार्या । यह गुण और आकार में रम्भा अप्सरा के समान थी । यह दशानन में आसक्त थी । दशानन के द्वारा समझाये जाने पर यह नलकूबर को पूर्ववत् चाहने लगी । पद्मपुराण 12. 97-98, 107-108, 146-153