कन्दर्प
From जैनकोष
(1) निरन्तर काम से आकुलित इस नाम के देव । हरिवंशपुराण 3.136
(2) अनर्थदण्डव्रत का एक अतिचार, (राग की उत्कृष्टता से हास्यमिश्रित भण्ड वचन बोलना) । हरिवंशपुराण 58.179
(1) निरन्तर काम से आकुलित इस नाम के देव । हरिवंशपुराण 3.136
(2) अनर्थदण्डव्रत का एक अतिचार, (राग की उत्कृष्टता से हास्यमिश्रित भण्ड वचन बोलना) । हरिवंशपुराण 58.179