कर्षप
From जैनकोष
यक्षस्थान नगर का निवासी और सुरप का सहोदर । इन दोनों भाइयों ने मूल्य देकर किसी शिकरी द्वारा पकड़े गये पक्षी को मुक्त कराया था । परिणाम स्वरूप पक्षी ने अपनी सेनापति की पर्याय में, जब ये दोनों मुनि अवस्था में थे, इन दोनों की रक्षा की थी । पद्मपुराण 39. 137-140