कल्याण
From जैनकोष
== सिद्धांतकोष से == श्रुतज्ञान ज्ञान का 10 वाँ पूर्व–देखें श्रुतज्ञान - III
पुराणकोष से
(1) मुनि आनन्दमाल का भाई ऋद्धिधारी साधु । अपने भाई के निन्दक इन्द्र विद्याधर को इसने शाप दिया था कि आनन्दमाल का तिरस्कार करने के कारण उसे भी तिरस्कार मिलेगा । अपने दीर्घ और उष्ण निःश्वास से यह उसे दग्ध ही कर देना चाहता था किन्तु विद्याधर की पत्नी सर्वश्री ने इसे शान्त कर दिया था । पद्मपुराण 13.86-89
(2) तीर्थंकरों के पंचकल्याणक । महापुराण 6.143
(3) विवाह । महापुराण 71.144,63.117
(4) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.193