योगसार - चारित्र-अधिकार गाथा 452
From जैनकोष
व्यावहारिक चारित्र के दो भेद -
यो व्यावहारिक: पन्था: सभेद-द्वय-संगत: ।
अनुकूलो भवेदेको निर्वृते: संसृते: पर: ।।४५२।।
अन्वय :- य: व्यावहारिक: पन्था: (अस्ति; स:) सभेद-द्वय-संगत: (भवति ) । एक: निर्वृते: अनुकूल: भवेत् पर: संसृते: (अनुकूल: भवेत्) ।
सरलार्थ :- व्यावहारिकचारित्ररूप जो मार्ग अर्थात् उपाय है, उसके दो भेद हैं - एक निर्वाण/ मुक्ति के लिये अनुकूल है और दूसरा संसार के लिए अनुकूल है ।