कालानुयोग - दर्शन मार्गणा
From जैनकोष
9. दर्शन मार्गणा—
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
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प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
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नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
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चक्षुदर्शन |
... |
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38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
170-171 |
अन्तर्मु0 |
चतुरिन्द्रिय पर्याप्त क्षायोपशमापेक्षा |
2000 सागर |
क्षयोपशमापेक्षा परिभ्रमण |
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... |
|
38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
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170-171 |
अन्तर्मु0 |
उपयोगापेक्षा |
अन्तर्मुहूर्त |
उपयोग अपेक्षा |
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अचक्षुदर्शन |
... |
|
38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
173 |
अनादि अनन्त |
अभव्य क्षयोपशमापेक्षा |
अनादि अनन्त |
अभव्य क्षयोपशमापेक्षा |
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|
... |
|
38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
174 |
अनादि सान्त |
भव्य क्षयोपशमापेक्षा |
अनादि सान्त |
भव्य क्षयोपशमापेक्षा |
|||
|
... |
|
38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
170-172 |
अन्तर्मु0 |
उपयोगापेक्षा |
अन्तर्मुहूर्त |
उपयोगापेक्षा |
|||
अवधिदर्शन |
... |
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38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
175 |
|
अवधिज्ञानवत् |
— |
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केवलदर्शन |
... |
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|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
176 |
|
केवलज्ञानवत् |
— |
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चक्षुदर्शन |
1 |
276 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
277-278 |
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अन्तर्मु0 |
गुणस्थान परिवर्तन |
2000 सागर |
परिभ्रमण |
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2-4 |
279 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
279 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
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अचक्षुदर्शन |
1-14 |
280 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
280 |
— |
— |
मूलोघवत् |
|
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अवधि दर्शन |
4-12 |
281 |
— |
— |
अवधिज्ञानवत् |
— |
— |
281 |
— |
— |
अवधिज्ञानवत् |
— |
— |
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केवलदर्शन |
13-14 |
282 |
— |
— |
केवलज्ञानवत् |
— |
— |
282 |
— |
— |
केवलज्ञानवत् |
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— |