कांडक
From जैनकोष
- काण्डक काण्डकायाम व फालि के लक्षण
क.पा.5/4,22/571/334/4 ‘‘किं कडयं णाम। सूचिअंगुलस्स असंखे0 भागो। तस्स को पडिभागो। तप्पाओग्गअसंरखरूवाणि।’’=प्रश्न—काण्डक किसे कहते हैं ? उत्तर—सूच्यंगुल के असंख्यातवें भाग को काण्डक कहते हैं। प्रश्न—उसका प्रतिभाग क्या है ? उत्तर—उसके योग्य असंख्यात उसका प्रतिभाग है। (तात्पर्य यह कि अनुभाग वृद्धियों में अनन्त भाग वृद्धि के इतने स्थान ऊपर जाकर असंख्यात भाग वृद्धि होने लग जाती है।)
ल.सा./भाषा/81/116/15 इहाँ (अनुभाग काण्डकघात के प्रकरण में) समय समय प्रति जो द्रव्य ग्रह्या ताका तौ नाम फालि है। ऐसे अन्तर्मुहूर्तकरि जो कार्य कीया ताका नाम काण्डक है। तिस काण्डक करि जिन स्पर्धकनि का अभाव किया सो काण्डकायाम है। (अर्थात् अन्तर्मुहूर्त पर्यंत जितनी फालियों का घात किया उनका समूह एक काण्डक कहलाता है। इसी प्रकार दूसरे अन्तर्मुहूर्त में जितनी फालियों का घात कीया उनका समूह द्वितीय काण्डक कहलाता है। इस प्रकार आगे भी, घात क्रम के अन्त पर्यंत तीसरा आदि काण्डक जानने।)
ल.सा./भाषा/133/183/8 स्थितिकाण्डकायाम मात्र निषेकनिका जो द्रव्य ताकौ काण्डक द्रव्य कहिये, ताकौं इहाँ अध:प्रवृत्त (संक्रमण के भागाहार) का भाग दिये जो प्रमाण आया ताका नाम फालि है (विशेष देखो अपकर्षण/4/1) - काण्डकोत्करण काल
ल.सा./जी.प्र./79/114 एकस्थितिखण्डोत्करण स्थितिबन्धापसरणकालस्य संख्यातैकभागमात्रोऽनुभागखण्डोत्करणकाल इत्यर्थ:। अनेनानुभागकाण्डकोत्करणकालप्रमाणमुक्तम्।=जाकरि एक बार स्थिति घटाइये सो स्थिति काण्डकोत्करणकाल अर जाकरि एक बार स्थिति बन्ध घटाइये सो स्थिति बन्धापसरण काल ए दोऊ समान हैं, अर्न्मुहूर्त मात्र हैं। बहुरि तिस एक विषैं जाकरि अनुभाग सत्त्व घटाइये ऐसा अनुभाग खण्डोत्करण काल संख्यात हजार हो है, जातै तिसकालै अनुभाग खण्डोत्करण का यहु काल संख्यातवें भागमात्र है। - अन्य सम्बन्धित विषय
- निर्वर्गणा काण्डक–देखें करण - 4।
- आबाधा काण्डक–देखें आबाधा ।
- स्थिति व अनुभाग काण्डक–देखें अपकर्षण - 4।
- क्रोध, मान आदि के काण्डक क्ष.सा./भाषा/474/558/16 क्रोधद्विक अवशेष कहिए क्रोध के स्पर्धकनि का प्रमाण कौ मान के स्पर्धकनि का प्रमाणविषै घटाएँ जो अवशेष रहै ताका भाग क्रोध कै स्पर्धकनि का प्रमाण कौं दीए जो प्रमाण आवै ताका नाम क्रोध काण्डक है। बहुरि मानत्रिक विषै एक एक अधिक है। सो क्रोध काण्डकतै एक अधिक का नाम मान काण्डक है। यातै एक अधिक का नाम माया काण्डक है। यातै एक अधिक का नाम लोभ काण्डक है। अंकसंदृष्टि करि जैसे क्रोध के स्पर्धक 18, ते मान के 21 स्पर्धकनि विषै घटाएँ अवशेष 3, ताका भाग क्रोध के 18 स्पर्धकनि कौ दीएँ क्रोध काण्डक का प्रमाण छह। यातैं एक एक अधिक मान, माया, लोभ के काण्डनि का प्रमाण क्रमतै 7, 8, 9 रूप जानने।