कुन्दकुन्द
From जैनकोष
सम्पूर्ण श्रुत के विनाश के भय से अवशिष्ट श्रुत को ग्रन्थ रूप में सुरक्षित करने वाले आचार्य भूतबली और पुष्पदन्त के बाद हुए पंचाचार से विभूषित निर्ग्रन्थ आचार्य । इन्होंने पंचम काल में गिरिनार पर्वत के शिखर पर स्थित पाषाण निर्मित सरस्वती देवी को बोलने के लिए बाध्य कर दिया था । पांडवपुराण 1.14, वीरवर्द्धमान चरित्र 1.53-57