योगसार - मोक्ष-अधिकार गाथा 339
From जैनकोष
शुद्धात्म-ध्यान से कामदेव का सहज नाश -
जन्म-मृत्यु-जरा-रोगा हन्यन्ते येन दुर्जया: ।
मनोभू-हनने तस्य नायास: कोsपि विद्यते ।।३३९।।
अन्वय :- येन (शुद्धात्मन: ध्यानेन) दुर्जया: जन्म-मृत्यु-जरा-रोगा: हन्यन्ते तस्य मनोभूहनने क: अपि आयास: न विद्यते ।
सरलार्थ :- जिस शुद्धात्मा के ध्यान से दुर्जय अर्थात् जीतने के लिये कठिन जन्म, जरा, मरण, रोग आदि जीव के विकार नाश को प्राप्त होते हैं, उस शुद्धात्मा को काम विकार के हनन में कोई भी नया श्रम करना नहीं पड़ता - वह तो उससे सहज ही विनाश को प्राप्त हो जाता है ।