घातिकर्म
From जैनकोष
जीव के उपयोग गुण के घातक ज्ञानावरण, दर्शनावरण मोहनीय और अन्तराय कर्म । इन कर्मों के विनाश से केवलज्ञान की उपलब्धि होती है । महापुराण 1.12, 33.130, 54.226-228
जीव के उपयोग गुण के घातक ज्ञानावरण, दर्शनावरण मोहनीय और अन्तराय कर्म । इन कर्मों के विनाश से केवलज्ञान की उपलब्धि होती है । महापुराण 1.12, 33.130, 54.226-228