योगसार - चूलिका-अधिकार गाथा 518
From जैनकोष
मोक्ष के उपाय का उपदेश -
तत: शुभाशुभौ हित्वा शुद्धं भावमधिष्ठित: ।
निर्वृतो जायते योगी कर्मागमनिवर्तक: ।।५१९।।
अन्वय : - तत: कर्मागमनिवर्तक: योगी शुभाशुभौ (भावौ) हित्वा शुद्धं भावं अधिष्ठित: निर्वृत: जायते ।
सरलार्थ :- इस कारण जो योगी कर्मो के आस्रव का निरोधक है, वह शुभ-अशुभ भावों को छोड़कर शुद्धभाव/वीतराग भाव में अधिष्ठित अर्थात् विराजमान होता हुआ मुक्ति को प्राप्त होता है ।