चैत्यपादप
From जैनकोष
चैत्यवृक्ष । ये समवसरण के चारों वनों में (अशोक, सप्तपर्ण, चम्पक और आम्र) होते हैं । ये बहुत ऊँचे, तीन छत्रों सहित, घंटा, अष्ट मंगल-द्रव्य और चारों दिशाओं में जिन-प्रतिमाओं से युक्त होते हैं । प्रकाशवान् इन वृक्षों में सुगन्धित पुष्प होते हैं । इन्द्र इनकी पूजा करता है । महापुराण 6.24,22. 188-203 वीरवर्द्धमान चरित्र 14.112-114