द्रव्यप्राण
From जैनकोष
पांच इन्द्रियां, मन, वचन और काय (तीन बल) आयु तथा श्वासोच्छ्वास ये दस प्राण । संज्ञी-पंचेन्द्रिय के ये सभी होते हैं । असंज्ञी-पंचेन्द्रिय के मन न होने से नौ, चतुरिन्द्रिय के कर्णेन्द्रिय और मन न होने से आठ, त्रीन्द्रिय के मन, कर्ण और नेत्र न होने से सात, द्वीन्द्रिय के मन, कर्ण, चक्षु और नासिका का अभाव होने से छ: और एकेन्द्रिय के रसना, नासिका, चक्षु, श्रोत्र, मन और वचन का अभाव होने से चार प्राण होते हैं । वीरवर्द्धमान चरित्र 16.99-102