नै:क्षंगयभावना
From जैनकोष
पंचेन्द्रिय सम्बन्धी सचित्र और अचित्र विषयों में अनासक्ति । ये दो प्रकार की होती हैं― बाह्य और आभ्यन्तर । महापुराण 20. 165
पंचेन्द्रिय सम्बन्धी सचित्र और अचित्र विषयों में अनासक्ति । ये दो प्रकार की होती हैं― बाह्य और आभ्यन्तर । महापुराण 20. 165