पद
From जैनकोष
श्रुतज्ञान के बीस भेदों में पांचवां भेद । यह अर्थ पद, प्रमाणपद और मध्यमपद के भेद से तीन प्रकार का होता है । एक से सात अक्षर तक का पद अर्थपद, आठ अक्षररूप प्रमाणपद और सोलह सो अठासी अक्षर का मध्यमपद होता है । अंगों तथा पूर्वों की पद-संख्या इसी मध्यमपद से होती है । हरिवंशपुराण 10.12-13, 22-25