पुण्ययज्ञक्रिया
From जैनकोष
एक दीक्षान्वय क्रिया । इससे पुण्य को बढ़ाने वाली चौदह पूर्व विद्याओं का अर्थ-श्रवण होता है । महापुराण 38.64,39.50
एक दीक्षान्वय क्रिया । इससे पुण्य को बढ़ाने वाली चौदह पूर्व विद्याओं का अर्थ-श्रवण होता है । महापुराण 38.64,39.50