पुण्यास्रव
From जैनकोष
पुण्य की प्राप्ति । यह सरागी जीवों को उपादेय किन्तु मुमुक्षुओं के लिए हेय होता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 17.50
पुण्य की प्राप्ति । यह सरागी जीवों को उपादेय किन्तु मुमुक्षुओं के लिए हेय होता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 17.50