पुंडरीक
From जैनकोष
- छठे रुद्र थे। - देखें शलाका पुरुष - 7।
- अपने पूर्व के दूसरे भव में शल्य सहित मर करके देव हुआ था। वर्तमान भव में छठे नारायण थे। अपरनाम पुरुष पुण्डरीक था। - देखें शलाकापुरुष - 4।
- श्रुतज्ञान का 12वाँ अंग बाह्य - देखें श्रुतज्ञान - III।
- पुष्करवर द्वीप का रक्षक व्यन्तर देव - देखें व्यन्तर - 4।
- मानुषोत्तर पर्वत का रक्षक व्यन्तर - देखें व्यन्तर - 4।
- विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर - देखें विद्याधर ।