मनसाहार
From जैनकोष
देवों की आहारविधि देवों को आहार की इच्छा होते ही उनके कण्ठ में अमृत झरने लगता है, जिससे उनकी क्षुधा शान्त हो जाती है । देवों का ऐसा आहार मनसाहार कहलाता है । महापुराण 61.11
देवों की आहारविधि देवों को आहार की इच्छा होते ही उनके कण्ठ में अमृत झरने लगता है, जिससे उनकी क्षुधा शान्त हो जाती है । देवों का ऐसा आहार मनसाहार कहलाता है । महापुराण 61.11