महोदधि
From जैनकोष
किष्कुनगर का वानरवंशी विद्याधरों का स्वामी एक नृप । इसकी रानी विद्युत्प्रकाशा तथा उससे उत्पन्न इसके एक सौ आठ पुत्र थे । राक्षसबल के शिरोमणि विद्युत्केश के दीक्षित होते ही प्रतिचन्द्र पुत्र को राज्य देकर इसने भी दीक्षा धारण की थी और अन्त में तपश्चरण कर मोक्ष प्राप्त किया था । पद्मपुराण 6.218-225, 349-251