लघु विधि
From जैनकोष
एक उपवास एक पारण क्रम से 120 उपवास पूरे कर। जाप्य–नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य (व्रत विधान सं./62) (वर्द्धमान पुराण)। ह.पु./34/119 जघन्य व उत्कृष्ट आयु की अपेक्षा सर्वत्र बेला होता है। तहां–समस्त नरकों के 7; पर्याप्त-अपर्याप्त के 2; पर्याप्त-अपर्याप्त मनुष्य के 2; सौधर्म-ईशान स्वर्ग का 1; सनत्कुमार से अच्युत पर्यन्त के 11; नव ग्रैवेयक के 9; नव अनुदिश का 1; पांच अनुत्तरों का एक। इस प्रकार 34 बेले। बीच के 34 स्थानों में एक एक पारणा।