विचित्रमति
From जैनकोष
भरतक्षेत्र में चित्रकारपुर नगर के राजा प्रीतिभद्र के मंत्री चित्रबुद्धि का पुत्र । कमला इसकी माँ थी । श्रुतसागर मुनि से तप का फल सुनकर यह तप करने लगा था । साकेतनगर में यह बुद्धिसेना को देखकर पथभ्रष्ट हो गया था यह उसे पाने के लिए गन्धमित्र राजा का रसोइया बना । अपनी पाक कला से राजा को प्रसन्न करके इसने इस वेश्या को प्राप्त कर लिया था । अन्त में भोग-भोगते हुए सातवें नरक गया । महापुराण में नगर का नाम छत्रपुर, मंत्री का नाम चित्रमति और मुनि का नाम धर्मरुचि तथा भरकर इसका हाथी की पर्याय में जन्म लेना बताया गया है । महापुराण 59-254-257, 265-267, हरिवंशपुराण 27.97-103