शुक्ललेश्या
From जैनकोष
छ: लेश्याओं में एक लेश्या । यह अहमिन्द्रों के होती है । इसके होने से अहमिन्द्रों का पर क्षेत्र में विहार नहीं होता । वे अपने ही प्राप्त भोगों से संतुष्ट रहते हैं । महापुराण 11. 141
छ: लेश्याओं में एक लेश्या । यह अहमिन्द्रों के होती है । इसके होने से अहमिन्द्रों का पर क्षेत्र में विहार नहीं होता । वे अपने ही प्राप्त भोगों से संतुष्ट रहते हैं । महापुराण 11. 141